सुखी जीवन के लिए घर का हेड परमात्मा को बनाए -ब्रह्माकुमारी पूनम बहन

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सुखी जीवन के लिए घर का हेड परमात्मा को बनाए -ब्रह्माकुमारी पूनम बहन जी

*अध्यात्म माना स्वयं को सर्वोच्च परमात्मा से कनेक्ट करना – ब्रह्माकुमारी पूनम *अध्यात्म बल द्वारा ही अखंड आनंद की अनुभूति संभव- ब्रह्माकुमारी पूनम

*देना ही लेना है- ब्रह्माकुमारी पूनम

( *अलविदा तनाव शिविर का पांचवा दिन)*

27 मई 2024 काशीपुर। स्वयं से प्यार करें। जो खुद को प्यार करते हैं उनके जीवन में डिप्रेशन शून्य हो जाता है। रोज चिंतन करें इस सृष्टि रंग मंच पर मेरे जैसा दूसरा कलाकार है ही नहीं। अपने मिले हुए पाठ को संतुष्ट होकर बजाये। अपने अंदर की विशेषताओं का रोज चिंतन करें। यह भी मेडिटेशन है। अपने को शाबाशी दे। अपने-अपने घरों में लिखकर रख लीजिए मैं -“ मैं बेस्ट हूं”। जो पाठ परमात्मा ने मुझे दिया है वो बहुत अच्छा है। उक्त बातें इंदौर से पधारी प्रख्यात तनाव मुक्ति विशेषज्ञा ब्रह्माकुमारी पूनम बहन जी ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय काशीपुर के तत्वाधान में रामलीला मैदान में आयोजित नौ दिवसीय निशुल्क “अलविदा तनाव शिविर “के पांचवें दिन के सत्र में सुखी जीवन का पहला रहस्य बताते हुए कही। सुखी जीवन के लिए दूसरा टिप्स उन्होंने बताया- दूसरों के लिए जिए। रिश्तो में प्यार,सम्मान, दर्द जो भी हम देते हैं वही वापस आता है। चेक करिए मुझे संबंधों में क्या देना है? मांगता नहीं दाता बनना है। यही भारत की प्राचीन संस्कृति है। देना ही लेना है। सबको प्यार, शुभकामना, खुशी, दुआएं,सहयोग देना है,तभी हम सदा सुखी रह पायेंगे। टिप्स को पक्का करने के लिए उन्होंने किसी की मुस्कुराहटो पे हो निसार.. गीत बजाकर सबसे तालियां बजवाई जिससे खुशी वह उमंग उत्साह का वातावरण बन गया। सब कुछ परमात्मा को विल कर दें- सुखी रहने के लिए ट्रस्टी बनकर सब कार्य करें। जिम्मेवारी परमात्मा को दे दे। घर का हेड परमात्मा को बना दे। हर आत्मा का अपना भाग्य है। ट्रस्टी बन पूरी ऊर्जा लगाकर हर कार्य को करें। फिर परिणाम परमात्मा को अर्पित कर दें। दिल से अर्पित करेंगे तो परमात्मा की शक्तियां काम करने लगेगी व समाधान सामने आ जाएगा। रोशनी मिल जाएगी फिर उन्होंने सब सौंप दो प्यारे प्रभु को… गीत बजवाकर मेडिटेशन के माध्यम से तन, मन, धन, संबंध सब कुछ अर्पण करवाया।

सर्वप्रथम वीडियो स्क्रीन पर तीन लोक का चित्र दिखाते हुए उन्होंने बताया कि इस संसार को मुसाफिर खाना कहा जाता है। यहां हम सभी मुसाफिर हैं। जहां से आए हैं एक दिन वहां ही जाना है। हम जहां रहते हैं उसे साकार लोक कहा जाता है। इस सृष्टि मंच भी कहा जाता है जहां हम सब कलाकार अभिनय करते हैं। इसके ऊपर सूर्य,चाँद,तारागण से भी पार “सूक्ष्म लोक” है वहां हड्डी मांस का शरीर नहीं होता हैं, प्रकाश का शरीर होता है। वहां आवाज नहीं होता, इशारों से बातें होती है इस लोक से भी ऊपर या परे एक तीसरा लोक है जिसे परमधाम निर्वाणधाम, शांतिधाम, मूलवतन,ब्रह्मलोक, मुक्तिधाम आदि नाम से जाना जाता है। वीडियो दृश्य के माध्यम से दिखाया कि यहां चारों ओर सुनहरा लाल प्रकाश फैला हुआ है जहां सूक्ष्म बिंदु समान आत्माएं चमक रही है। सबसे ऊपर स्वयं परमपिता परमात्मा दिव्य ज्योति स्वरूप में विराजमान है। मेडिटेशन के लिए यह दृश्य व ज्ञान होना बहुत जरूरी है। उन्होंने परमधाम में परमपिता परमात्मा से संबंध जोड़कर मेडिटेशन करते हुए शांति की गहन अनुभूति कराई। आज का अभ्यास करने के लिए उन्होंने स्पिरिचुअल इंजेक्शन (मंत्र) दिया -“मैं सृष्टि रूपी रंगमंच पर एक महान कलाकार हूं ”। इसे उन्होंने लिखकर अभ्यास करने के लिए कहा तथा बताया कि यदि 21 दिन तक 108 बार अनुभव करते हुए कोई अच्छा विचार लिखते हैं तो तथास्तु हो जाता है यानी सिद्ध हो जाती है। आधा मिनट अनुभव करके फिर लिखना है। ऐसा करने से तनाव के कारण ब्रेन में जो ब्लॉकेज हो जाते हैं वह खुल जाते हैं क्योंकि लिखने से ब्रेन में मूड को अच्छा करने वाले हार्मोन पैदा होने लगते हैं। इससे मन की सारी बीमारियां दूर हो जाती है। कम से कम 50 बार भी यदि दिन भर में लिखे तो अनिद्रा की बीमारी ठीक हो जाती है सीवियर, डिप्रैशन से बाहर आ जाते हैं, भय खत्म हो जाता है।

अंत में परिवर्तन उत्सव मनाया गया। पहले उसके बारे में उन्होंने बताया कि कोरोना कल में सब कुछ ऑनलाइन हो गया था जिसे हम सब ने स्वीकार किया, परिवर्तन किया। ऐसे ही आज परमात्मा की तरफ से एक टर्निंग पॉइंट आया है अपनी लाइफ को 360 डिग्री परिवर्तन करने का। आज से सभी संकल्प करें यानी परिवर्तन की रोज 45 मिनट आध्यात्म के लिए समय जरूर निकालेंगे। अध्यात्म मानव स्वयं को कनेक्ट कर देना सर्वोच्च (परमात्मा) के साथ। होने से उसकी सारी शक्तियां हमारे में आ जाती हैं। अध्यात्म का बल,अखंड -आनंद का अनुभव कराता है। फिर परिवर्तन की आध्यात्मिक दिवाली मंच पर शहर के गणमान्य जन व ब्रह्मकुमारी बहनों द्वारा दुआएं देने का दीप जलाकर तथा हजारों नगर वासियों द्वारा मोबाइल का टॉर्च जलाकर सेलिब्रेट किया गया- एक दिया दुआ का जलाएं…। फिर छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी…. गीत पर युवा भाइयों की मशाल रैली हुई। प्रेरणादाई वातावरण में सब ने उमंग उत्साह से अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन का दृढ़ संकल्प किया। कल मेडिटेशन द्वारा संपूर्ण समस्याओं का समाधान विषय पर सत्र चलेगा वह ध्यान उत्सव मनाया जाएगा। हजारों नगर वासी बहुत ही उमंग उत्साह से शिविर का लाभ ले रहे हैं।